हे “अग्नि देव”तुम्हे नमस्कार, हे अग्नि देव तुम्हे नमस्कार,

सोने चांदी सेनहीं किन्तु काले बर्तन से कीया प्यार

 

आदि मानव नेपाषाण ठोंक करके तुम ही को खोजा था

उस अलप बुद्धिवाले ने शायद तुम्हारे use  को सोचा  था

 चूल्हे पर रहकरसवार तुम पानी को उब्लाते हो

 माचीस में होबंद फिर  भी तुम सीगरेट को सुलगाते हो

बीना आपके  लगेअधूरे बीडी सीग्रेट और सिगार

 

हे अग्नि देवतुम्हे नमस्कार, हे अग्नि देव तुम्हे नमस्कार

वर-वधु तुम्हीको शाक्षी मानकर कसमे खाते शादी की

वही तम्हारेअन्य  रूप  में छाया है बर्बादी की

अलप दहेज़ कीबहु बेटिया सदा तुम्ही जलाते हो

क्या यहीतुम्हारा देव रूप जिसमे तुम पूजे जाते हो

इतने पर तुम्हीतो हो जो विवाह मंडप पर रहे सवार

 

हे अग्नि देवतुम्हे नमस्कार, हे अग्नि देव तुम्हे नमस्कार

-Manish Bhatnagar